हाल ही में, 5 अप्रैल को एनजीओ जीओ हेज़ार्ड्स और उनके सहयोगियों ने भारत के भूकंप के उच्च जोखिम क्षेत्रो में तिब्बती स्कूलों के साथ मिलकर भूकंप सुरक्षा ड्रिल का बड़े पैमाने पर आयोजन किया। यह आयोजन वास्तव में एक बड़ा आयोजन था, क्योंकि इस ड्रिल में देशभर के छह राज्यों के सोला हज़ार (१६०००) स्कूली बच्चों ने भाग लिया था।
ये भूकंप ड्रिल्स विशेषज्ञता का विषय है और इनका आयोजन एवं कार्यान्वयन अनगिनत परिद्श्य के साथ और संभावनाए सामने खड़ी करता है| इतना ही नहीं इन ड्रिल्स को ज़्यादा व्यापक एवं नियमित तौर पर आयोजीत करने की आज अविलंब्य जरुरत है। विषय की संवेदनशीलता के कारण संकल्पना और आयोजन के चरणों के दौरान प्रकट होती चिंताएं विशेषज्ञों को भी उलझाती है। साधारण शब्दों में, यह चिंताएं एक योग्य ड्रिल कार्यप्रणाली को पसंद करने से लेकर उनको सही तरीके से लागू करने जैसे विषयों पर होगी |
इन भूकंप ड्रिल्स को समझने के लिए इंटरनेट पर कुछ निम्नलिखित वैबसाईट्स से जानकारी मिल सकती है :
१. साधारण समझ के लिए- अंग्रेजी में
२. समझ के लिए - अंग्रेजी में
३. अधिक विस्तृत समझ के लिए गूगल खोज करें
शायद सामूहिक कठिनाइयों के कारण इस प्रकार की ड्रिल्स संकल्पना के चरणों में ही बाह्य परिबलों के आधिन हो जाती है। इसके अलावा, वास्तविक घटना के समय पर जाने ना बचे तो घटना का दोष मढ़े जाने का भी खतरा है। सबसे कठिन हिस्सा घटना स्थल पर कार्यान्वयन का है। उसमें चोट का और जान जाने का खतरा तो है ही, साथ साथ इस चरण में स्कूलों को भूकंप का सामना करने के लिए तैयार करना पड़ता है और उनको यह भी याद दिलाना पडता है की बच्चों कि सुरक्षा उनकि भी जिम्मेदारी है।
उपरोक्त जानकारी में से ज्यादातर जानकारी हमें हरि (श्रीमान हरिकुमार, जीओ हेझार्ड्स) और उनके सहयोगियों के द्वारा मिली है, जो स्कूली बच्चों के लिए एक बेहतर और सुरक्षित वातावरण चाहते हैं। उनका अगला कार्यक्रम अंतरिम रूप से इस जून में शिलोंग को केन्द्र में रख कर आयोजीत किया गया है। क्वेकस्कूल के द्वारा हम आगे भी अपने समर्थन के बनाए रखेंगे और सूचना के आदान प्रदान का प्रयास करेंगे।