शनिवार, 26 मई 2012

केन्सविल में डॉक्टर भावेश के निवास की संरचनात्मक प्रणाली और प्रगति पर एक ध्यान

केन्सविल कार्यस्थल नलसरोवर पक्षी अभयारण्य के विशाल दलदल से थोडा पहले एक प्राकृतिक जल निकासी मार्ग पर स्थित है, और इसलिए उसका पानी कोष्टक उच्च है| यह भूवैज्ञानिक/ भूआकार विज्ञान गुण के कारण नींव की जमीन का प्रकार अधिक रूप से कांप जैसी रेत जैसा है| जमीन का लगभग पचहतर प्रतिशत (७५%) हिस्सा  दानेदार है और बाकी के हिस्से में मिट्टी बेहद चीकनी और संकोचित है, बोलचाल के शब्दों में इसको काले कपास की जमीन से भी जाना जाता है| इस जमीन की प्रकृति ऐसी है कि उसकी भार सहन करने की क्षमता औसत है और इसके आलावा मिट्टी का कटाव भी ज्यादा है| जमीन की वर्तमान स्थिति और मौजूदा भार पर से हमको गोलाकार चिनाई की नींव पर फेरोसिमेन्ट का पतला आवरण और उस पर परिदृश्य घास जैसी डिज़ाइन पसंद करने की जरुरत पड़ी| आशय यह था कि नींवे और अधिरचना के आवरण के द्वारा स्वतंत्र तरीके से पर्याप्त अखंडता पा सके, जो बाद में जमीन में होने वाली विभिन्नता के सामने टिक पाए| ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिया गया हुआ रेखाचित्र देखे|

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इस नींव की चिनाई का निर्माण पूर्ण हो चूका है और अभी तल प्लिन्थ तैयार हो रही है| देश के अन्य भागो की तरह, योग्य कार्यबल की उपलब्धता एक चिंता का विषय है, और कार्यस्थल की दूरी ने हमारे कार्य को धीरा कर रखा है| हालांकि, हमारे ठेकेदार नीरव और दक्षेश ने ईंट के चिनाई काम और खुदाई काम में कुशल हो ऐसे स्थानिक कार्यदल को ढूंढ़ निकाला था| खुदाई पूर्ण होने के बाद जल्द ही कार्य शुरू करने से पहले और निष्पादन के दौरान उन्होंने ईंटकी चिनाई के कारीगरों से लगातार बातचीत करके इच्छित गुणवत्ता सुनिश्चित की| तस्वीरे देखने के लिए क्लिक करे|


वर्तमान में फेरोसिमेन्ट के आवरण के निर्माण के लिए सामग्री जुटाव चल रहा है; और जैसे काम आगे बढेगा ऐसे हम आपको जानकारी देते रहेंगे| कृपया मुलाकात जारी रखे|


* काली मिट्टी बहोत चीकनी और संकोचित मिट्टी जैसी होती है|








शनिवार, 5 मई 2012

१८ सितम्बर-२०११ भूकंप के अद्यतन (अद्यतन: २९ अप्रैल २०१२)

सांगखोला स्कूल की प्रगति धीरे पर मजबूत है| यह धीमी प्रगति ज्यादातर रिइन्फोर्सड सिमेन्ट कोंक्रिट (भारत में आर.सी.सी के नाम से जाना जाता है|)  नाम की सामग्री  से काम करने वाले  लोगो के उपलब्ध होने की वजह से है| शिक्षा विभाग ने सिर्फ आर.सी.सी की मदद से ही नई इमारातो के निर्माण की इच्छा ज़ाहिर की है, और इस काम को  हम जल्द से जल्द पूरा करे उसके लिए उत्सुक है| यह अच्छी तरह से समझ में आ रहा है और स्थापित है कि इस भूकंप के दौरान हुए नुकसान मुख्य रूप से ढीली मिट्टी, प्रति धारण दीवारे , अपर्याप्त डिज़ाइन और विशेष रूप से आर.सी.सी के जोड़ो के कारण था|  कई मामलो में मिट्टी को ठीक से नहीं जमा किया गया था| थोड़े मामलो में जमीन को समतल बनाने के लिए दूसरी जगह से मिट्टी लेकर भरा हुआ था और अपूर्ण  प्रतिधारण दिवारे थी|  अपर्याप्त ढीले संस्थापक जमीन के कारण संरचनाओ को बड़े झटकों से गुजरना पड़ा और सिक्किम की इमारतों में अच्छी गुणवता के निर्माण होने के बावजूद भी राज्य में ज्यादा नुकसान पाया गया| डिज़ाइन पे अपर्याप्त ध्यान भी इस भूकंप में हुए नुकसान का अन्य कारण था|
अब, एक संशोधित परियोजना की योजना के अनुसार नींव का काम मई महीने के मध्य तक पूरा हो जाएगा और अन्य संरचनात्मक काम की परिकल्पना जून महीने के मध्य तक हो जाए  ऐसी हम उम्मीद करते है| नींव के काम की तस्वीरे यहाँ देखे (लिंक) | यहाँ आर.सी.सी स्तंभ के लिए उच्च ठोस नींव के बनाने की तैयारी की जा रही है|
हम ठेकेदार की कार्यक्षमता को तकनिकी और प्रबंधिकीय दोनों क्षेत्रो में समर्थ बनाने के लिये देख रहे है| इसके लिये हमें और ज्यादा अनुभवी इंजिनियर टीम की जरुरत पड़ी| सीड्स के नेतृत्व में से राकेश है उनके साथ गुज़रात के पाटनका गाँव से कारीगर रमेश वहाँ पर पुनःनिर्माण में मदद के लिये है|
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इसके अलावा, पूर्वी जिले में क्षतिग्रस्त तीन स्कूल के परिसर में इमारतों के पुनःनिर्माण के कार्य की तैयारियाँ चल रही है| इसके अलावा हम भविष्य में होने वाली अत्यधिक घटनाओ के समय स्कूल परिसर में जीवन सलामती के पहलू, स्कूल परिसर में स्थानीय पर्यावरण बुनियादी सुविधा के निर्माण को सुधरने के लिये निर्माण और समुदाय की भागीदारी को शामिल करने की कोशिश कर रहे है|

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

सिक्किम अद्यतन - १८ सितम्बर २०११ भूकंप

थोड़े व्यवस्थापक अडचनो के कारण हमने हमारी चुनी हुई स्कूल को बदल दिया| इस बार थोड़ी ज्यादा सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों के सर्वेक्षण के बाद हमने सांगखोला प्राथमिक शाला जो राज्यके पाटनगर गंगटोक से २० किलोमीटर पहले राष्ट्रीय धोरीमार्ग ३१- पर स्थित है उसे खोज शके|

सीड्स की टीम में राखी,रेहमान,हरजीत और रिंकू अथक रहकर सांगखोला स्कूल की इमारत के पुननिर्माण के लिए डिजाइन का काम कर रहे है|उद्देश्य केवल संरचना को पहले की तुलनामें सुरक्षित करने का ही नहीं,बल्कि वातावरण को और अधिक सीखने के लिए सहायक बनाने का भी है|

टीम स्थानीय गाँव की जनता से, पंचायत से, और विभिन्न सरकारी विभागों से विशेष रूप से एच.आर.डी.डी (राज्य शिक्षा विभाग) से नियमित रूप से परामर्श प्रक्रिया में है| यहाँ अनौपचारिक कार्यशालाए बहूत सफल रही है| नए स्कूल के निर्माण के लिए तैयार किये हुए डिजाइन विकल्प चित्रों को बाद में देखे|

जल्द ही,निर्माण का कार्य आगे बढे उसके बाद हम इंजीनियरों और मजदूरो के लिए सामुदायिक कार्यशालाओ और बातचीत सत्र का संचालन करने की स्थिति में होंगे|

राज्य की क्षतिग्रस्त सांगखोला स्कूल की तस्वीरे यहाँ नीचे पिकाशा एल्बम में देखने को मिलेंगे|

१२०२०४ क्षतिग्रस्त सांगखोला स्कूल

थोड़े डिजाइन विकल्प यहाँ नीचे पिकाशा एल्बम में देखने को मिलेंगे|

१२०२०४ सांगखोला के नई डिज़ाइन विकल्प


गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

हमारे हाल के कुछ कार्य


हालांकि भारत में क्वेकस्कूल का यह प्रथम वर्ष घरेलु माहौल में कठिन मालूम हुआ, वहाँ हमने कुछ उपयोगी सबक सीखा है जो यादगार है|काम चिंतनशील किया गया है,ज्यादातर मजबूत तथ्य यह है कि बार बार दुहराने वाला इंजीनियरिंग का प्रयास,चाहे कही बहार भी किया जाता है,तो परियोजना की लागत काफी कम करने में मदद हो सकती है| यह प्रयासों डिजाइन और इसके कार्यान्वयन में भी नेतृत्व दे सकते है,उसी समय हमने हमारी परियोजनाओ में अवधि के स्थायित्व को समझने की कोशिश की|


हमने हाल ही में हमारे ग्राहकों के लिए किये गए कार्य आधारित कुछ निष्कर्ष निकले थे, इनमें से यह तीन दिलचस्प थे|
१. सामख्याली, गुजरात में एक सौर संयंत्र की नींव के लिए डिजाइन (क्लिक)
२. एक बांस संरचना नागपुर, महाराष्ट्र (क्लिक) के डिजाइन विश्लेषण
3. अहमदाबाद शहर में एक जमीन से अधिक दस मंजिला संरचना के मूल्य इंजीनियरिंग, विश्लेषण, गुजरात (क्लिक)


सामख्याली एक आगामी बिजली उत्पादन संयंत्र परियोजना है जिसको सौर ऊर्जा पर चलाया जायेगा| उसके महत्वपूर्ण घटकों में से एक संयंत्र की संरचनात्मक नींव है जिस पर इसकी पैनले और असेंबली लगेगी| परियोजना हमारे लिए भारत और अमेरिका के मिकेनिकल और इंस्ट्रूमेंन्टेशन इंजीनियरों के साथ काम करने का एक मौका था|वहाँ हमने एक टीम के रूपमें एक साथ छह हजार की संख्या के नींव यूनिटों के आकर को कम करने का काम किया,इसलिए उसकी लागत को भी कम कर सके|


हमने वन्डरग्रास के साथ एक पूरी तरह से अलग संरचनात्मक डिजाइन का व्यायाम किया वन्डरग्रास जिससे बांस की पंद्रह प्रजातियो में से एक,जो घरो के निर्माण में उपयोगी है जिसका नाम डेन्ड्रोकालामस स्ट्रिकट्स (अथवा डी-स्ट्रिकट्स)है उससे हमारा परिचय हुआ| हमने वन्डरग्रास के द्वारा बनाये हुए विशिष्ट आवास से इस बांस की संरचनात्मक पर्याप्त मात्रा का परिक्षण किया| हमने फिर से सीखा किग्रामीण क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर और सरकारी नीतियां होने के बावजूद भी अनुसंधान और आवास सामग्री के रुपमे बांस के उपयोग को बढ़ावा देने में यह अभी भी पूरी तरह से सफल नहीं हुए है| इसका मुख्य कारण यह है की,शोधकर्ताओ और ईमारत चिकित्सको सहित ज्यादातर लोग बांस को गैर टिकाऊ और अप्रचलित सामग्री मानते है,और बड़े पैमाने पर घरके निर्माण होने के कारण वैकल्पिक सामग्री केरुपमे उसकी बहुमुखी प्रतिभा को अनदेखा किया जाता है| इस परियोजना की जानकारी इस लिंक (क्लिक ) पर उपलब्ध है|


दस मंजिला इमारत परियोजना के द्वारा हमने अहमदाबाद शहर की एक उच्च वृद्धि ईमारत का कम्प्यूटर आधारित ३-डी विश्लेषण का आयोजन किया| यह उच्च वृद्धि संरचना अतिरिक्त तन्य-शक्ति के लिए सीमेन्ट और एम्बेडेड स्टील से बना हुआ था जो इन सब सामग्रीयो में सबसे बहुमूल्य सामग्री है| इस प्रकार का निर्माण उसकी लचीलेपन और प्राथमिक सामग्री की वजह से लगभग सभी विकासशील देशो में देखने को मिलता है| इन्जिनियरिंग सुरक्षा सुनिश्चीत करने और लागत को कम करने का यह एक रास्ता है और यहाँ हमारा उद्देश्य 'मूल्य इन्जिनियरिंग दृष्टिकोण' से इस संरचना का विश्लेषण करना था इसलिए हम अपने मूल सामग्री की खपत की जाँच करके अपनी लागत कम कर सके| इस परियोजना की जानकारी को इस लिंक (क्लिक) से खोज कर सकते हो|


इन लघु परियोजनाओ का कार्य किया तब हमें यह महसूस हुआ कि हमने डिजाइन किये ईमारत की संरचना या हमने उपयोग कि हुई सामग्री चाहे कितनी भी हो, जो उसका बुद्धिपूर्वक इन्जिनियरिंग उपयोग किया जाये तो इससे लागत कम करने के आलावा टिकाऊपन के मुद्दे का भी हल निकालने में मदद हो सकती है,जो इस स्तर पे सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से योग्य है|

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

१८, सितम्बर २०११ के भूकंप के बाद की सिक्किम यात्रा

मेरी सिक्किम की दूसरी यात्रा इस समय राज्य के पाटनगर गंगटोक तक सीमित थी| सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य पिछली मुलाकात के दौरान निश्चित की हुई क्षतिग्रस्त पाठशालामें पुनर्वासन प्रारंभ करना था| यह हमारी पाठशाला सलामती की दीर्घकालिक कार्यसूचि का एक हिस्सा है,जहाँ हम पाठशालाओ के पुननिर्माण द्वारा नीचे दिए गए विषयो पर ध्यान दे रहे है|

१. मौजूदा पाठशालाओ की इमारतों को मजबूत बनाना

२. पाठशाला इमारतों में सलामती और अभिगम्यता के विचारो को प्रस्तुत करना और उसको एकीकृत करना

३. स्थानीय सरकार सहित विविध उपयोगकर्ता समूहों के लिए प्रचार कार्यक्रमों का आयोजन करना

प्रारंभ में हमने ल्यूम्सी जुनियर पाठशाला में हमारा कार्य शुरू किया था जो गंगटोक के शहरी विस्तार की हद मे स्थित है उसके दो कक्षागृह को नुकशान हुआ था| विचार केवल पाठशाला की ईमारत की मरम्मत करना और मजबूती बढ़ाना नहीं था, पर मिस्त्रियो के रेट्रोफिटींग तालीम की तक का उपयोग करना था| मैंने और रहेमान ने ( सिड्स टीम) इंटरव्यू और विचार विमर्श करने के बाद, साईट से तसवीरे और मापन सहित महत्वपूर्ण जानकारी इकठ्ठा की थी|

मेरी प्रथम यात्रा के दौरान तेजी से किये गए द्रश्य सर्वेक्षण और सिड्स की टीम के सदस्यो की संबंधित यात्राओ ने, इस पाठशाला को तय करने में सहायता की थी| ल्यूम्सी पाठशाला का प्रवेश योग्यता विभाग,पाठशाला और अन्य क्षेत्र को मुलाकात और बातचीत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है| फ़िलहाल, हम लोग छोटी सी टीम बनाकर हमारी जूनियर पाठशाला के कार्य का मार्च २०१२ के अंत तक का संचालन किया है| सिड्स के वेतन दर पर राखी और डी.ए. में से दो मजदूर थोड़े समय के बाद हमारे साथ शामिल होने वाले है|

ल्यूम्सी पाठशाला की तसवीरे यहाँ उपलब्ध है|

Lumsey Junior High School (Link to Picasa album)


इसके अलावा, में अन्य संस्थाओ द्वारा कि गई हुई भूकंप के बाद की गतिविधियों पर ध्यान देने का प्रयास कर रहा था||समाचार रिपोर्ट्स और साथियों की चर्चा से यह जानने को मिला है कि प्रशासन और नागरिक समाज प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्री और अन्य अनुदान के बड़े धन का इंतजार कर रहे है| मुझे हर एक स्तर पर भूकंप प्रतिक्रिया के बारे में दिलचस्प वाद विवाद देखने को मिले जो राज्य को भविष्य में अपनाने चाहिए| बैठक और सम्मेलनों में उपविधियो और बुनियादी सुविधाओ सुविधाओ के प्रवधानीकरण में सुधार के उद्देश्य की चर्चा भी सुनाई देती थी|

सिक्किम ६००,००० जनसंख्या के साथ सुसंगठित समाज है| राज्य में सभी लोग भूकंप के बाद के परिणाम की स्थिति से परिचित है,और उनमें एक दुसरे के लिए सहानुभूति है|शहर जैसे कि, चुंगथांग में घर मालिको को भारी नुकशान सहन करना पड़ा था| सरकार द्वारा पुनर्वासन के लिए क्षतिपूर्ति के एक सुखद अनुग्रह राशि के रूप में,इस किस्से में ५०.००० रुपये तर्कसंगत काफी नहीं है|

यह एक दुर्भाग्य की बात है कि भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक सिक्किम उसके लोगो को ईमारत सुरक्षा के प्रति जागरूकता और निर्माण तकनीक के रूप में कोई भी तकनिकी मदद के लिए तैयार नहीं है| और/अथवा परामर्श,जो उनके जीवन और जीवनशैली में आये हुए भारी विघटन का सामना करने में मदद कर सके वो जरुरी है - वक्त की यही आवश्यकता है|

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द्वारा लिखित : चंद्रा भाकुनी

जाँच और समीक्षा : प्रतुल आहूजा,श्रुति नायर,स्मृति सारस्वत

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

सिक्किम,भारत भूकंप के लिए इंजीनियरिंग पाठ (तीव्रता ६.९)

हाल में १८सितम्बर के भूकंप के बाद मेरी सिक्किम की यात्रा ख़त्म हुई,यात्रा के कुछ लक्ष्य थे जो निम्नलिखित है:

१.क्षेत्र(प्रदेश) में बिल्डिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्षति को समजना|

२.इस घटना का असर समझने के लिए पाठशाला की और दूसरी संस्थाओ की बिल्डिंग की मुलाकात करना|

३.क्षेत्र में दुर्घटना प्रतिक्रिया के तंत्र का निरिक्षण करना|

विस्तृत रिपोर्ट के लिए लिंक क्लिक करे|


मेरे फिल्ड के अनुभव और यात्रा के दौरान वहां के लोगो से हुई बातचीत के आधार पर थोड़े निष्कर्ष और सिफारिश थी जो निम्नलिखित है|

१.बडी इंजीनियरिंग कंपनिया, गंगटोक में विश्वविद्यालयों, और व्यक्तिगत स्तर पर सिक्किम का काफी हद तक अध्ययन किया गया है| उनकी विशेषज्ञता का उपयोग सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए किया जाना चाहिए|

२.बुरी तरह से प्रभावित चुंगथांग के शहरीकरण व्यवस्थापन (उपयोग और सुविधाओ) के लिए ये भूकंप एक अवसर दिखाई देता है|

३.पारंपरिक भवन/घर (जिसको एकरा बोलते है) के निर्माण ने भूकंप के सामने अच्छा प्रदर्शन किया है,और उनमे काम क्षति हुई है|इस निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहिए,और इस क्षेत्र में आराम से नयेपन के साथ सुरक्षित घरो घरो का निर्माण किया जा सकता है|

४.चुंगथांग में नुकसान ,घर मालिको की मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का कारण है विशेष रूप से जिसने भारी निवेश किया है;और तकनिकी एवं मानसिक परामर्श एक तत्काल जरुरत है|

५.पाठशालाओ में नुकसान की वजह से बच्चो में एक भय का माहोल है | इस भय की ओर देखने से बेहतर है की भूकंप को समझने के लिए अवसर पैदा किये जाये |

६.सिक्किम एक अवसर है, जो अब सामूहिक शासन प्रणाली के एक उदाहरण के रूप में दिखाया जा सकता है, ना की सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से लेकिन विकास की दृष्टि से भी उतर भारत-पूर्व के उपमहाद्वीप को जरुरत है |


[आभार के साथ]

श्री चन्द्र भाकुनी, स्ट्रकचरल इंजीनयर, क्वेकस्कूल कन्सल्टिंग

मनू और सीड्स की दिल्ली टीम, श्रीमती रिंकू वढेरा स्थानीय डी.ओ.यु यूनिट से, श्री प्रशांत प्रधान और उनकी आर्कीटेक्ट की टीम सिक्किम से, टी शेरिंग (स्कूल शिक्षक), सोहेल दा (संकाय, सिक्किम युनिवर्सिटी), कर्नल वढेरा, कर्नल विशाल और क्वेकस्कूल टीम और यात्रा के दौरान मिले सभी मित्र का तहे दिल से आभार|

शनिवार, 23 जुलाई 2011

सिविल संरचना एन्जिनीरों के कुछ भूकम्पी स्पर्शक


तस्वीरें. भारत में ठेठ प्रबलित कंक्रीट चिनाई वाली इमारतें


पृथ्वी व उसकी सतह में एक निरंतर कम्पन हमेशा रहती है| जब तक कि यह कम्पन बड़े स्तर की हो, जोकि भूकंप जैसी घटनाओ के दौरान पैदा होती हों, हम इन्हें महसूस नही कर पातें हैं| विशेषज्ञ/वैज्ञानिक इन भूकंपीय कम्पन को समझने के लिए इन कंपन को तरंगो के रूप में वर्गीकृत करतें हैं| यह कहा जा सकता है कि यह तरंगे भूकंप के दौरान पृथ्वी के केंद्र से उत्तपन हो कर हर दिशा में बढ़ने लगतीं हैं, और इन्हें सिस्मिक या फिर भुकम्पियन तरंगो के नाम से भी जाना जाता है| यह तरंगें दो प्रकार में वर्गीकृत की जा सकतीं हैं- ) शारीरिक तरंग और ) सतह तरंग | जबकि 'शारीरिक तरंग' पृथ्वी के शरीर को माध्यम बनाकर चलतीं हैं, वहीं 'सतह तरंग' थोड़ा लम्बा मार्ग लेती हैं| 'सतह तरंग' पहले पृथ्वी के सबसे नज़दीक सतह तक अपना मार्ग बनातीं हैं, और उसके पश्चात धरती की सतह पर चलतीं हैं| आप कुछ सरल शैक्षिक साइट देख सकते हैं जो इन भूकंप तरंगो को सरल रूप से समझाती हैं; वेबसाइट लिंक १, वेबसाइट|

संरचनात्मक इंजीनियरिंग व सिविल इंजीनियरिंग के विषय का सम्बन्ध इन तरंगो कि यात्रा और इनकी इमारतों पर इनके टकराव से होने वाले प्रभाव से सम्बंधित है|

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पिछले एक साल में इतिहास ने कुछ दुर्भाग्यपूर्ण भूकंप और उसके बाद के झटको को देखा है| न्यूजीलैंड और जापान इस कारण चर्चा में रहे और पिछले साल चिली में भी काफी बड़े स्तर पर नुक्सान दर्ज किया गया है| आयें देखें कि सिविल/स्ट्रक्चरल इंजीनियरों का इस विषय में क्या कहना है-

न्यूजीलैंड ( २२ फरवरी २०११)

रोबेर्तो टी.लिओन , अध्यक्ष, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग संसथान, ए.एस.सी.ई. (जो कि अमेरिकी सिविल इंजिनियरो की एक प्रख्यात संसथान है) का एक दिलचस्प ब्लॉग है जिसमें उन्होंने अपने क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड में मौजूद होने पर एक व्यक्तिगत विवरण दिया है, जब वहां अकस्मात दूसरा भूकंप आया था| यह पूरा ब्लॉग बहुत दिलचस्प है, जंहा एक हिस्से में उन्होंने चिली में हुई घटना के साथ इसकी तुलना की है-

यह अनुभव मेरे लिए काफी अजीब था, क्योंकि मेरी हाल की यादें चिली में पिछले साल आये भूकंप कि है| चिली के भूकंप धीरे धीरे निर्मित होते है और काफी लम्बे समय तक रहते है| पर यह अलग था, इसमें अचानक - हिंसक झटके मजबूत ऊर्ध्वाधर के साथ महसूस किये गए, और यह करीब १५ सेकंड तक चले|

जापान (११ मार्च २०११)

बालाजी, एक मित्र और स्ट्रक्चरल इंजिनियर है, जो अपने टोक्यो कार्यालय, जो कि एक दस मंजिला ईमारत है, की चौथी मंजिल पर थे जब वहां भूकंप आया| बाला के कार्यालय तक सुनामी नहीं पहुँच सका क्योंकि वह शहर के बीच में स्थित है| कुछ दिनों बाद उन्होंने मझे स्काइप पर बताया कि उन्हें कैसा अनुभव हुआ जब भूकम्पी शारीरिक तरंगो ने उन्हें अचानक हिलाकर रख दिया था, और तत्पश्चात उन्होंने 'सतह तरंग' के आने का इंतजार किया क्योंकि अब सतह तरंग के जल्द ही आने कि सम्भावना थी| अगले ही क्षण उन्होंने अपने सहकर्मी को पीठ के बल दीवार से टकराते हुए देखा- दोनों सुरक्षित हैं| यह इमारत उनके सहकर्मियों ने सुरक्षा को ध्यान में रख कर डिज़ाइन की थी|

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दस साल पहले मैने गुजरात में आये भूकंप (२६ जनवरी २००१) को खुद महसूस किया था जो लगभग दो मिनट तक चला था| मैं नींद में से जाग उठा और मैं जिस दो मंजिला इमारत में रहता था, जो स्टील युक्त सीमेंट कंक्रीट से सिमित चिनाई के काम से बनी हैं, ने भूकंप के झटकों को बखूबी सहा| इस तरह की इमारतें जो भारत भर मै संस्थागत भवनों का एक प्रारूपि डिज़ाइन है, एक ईमारत की गतिविधि व लय को ध्यान में रखते हुए निर्मित हैं, और यह एक कारण है कि भूकंप के झटकों को सहने की क्षमता रखती है| कई इमारतें जो केवल चारदीवारी को सोच कर बनाई गई थी वो इतनी भाग्यशाली नही थी, और इस तरह की कई इमारत ढह भी गई थीं| मेरे एक संरचनात्मक इंजिनियर सहकर्मी, जो उस समय छात्र थे, ने इस अव्यवस्था के बीच एक समझदारी की बात कही थी-

... या तो तुम इमारत इतनी कड़ी बनाओ की उसे कुछ ना हो, या उसे इतना लचीला बनाओ की उसे कंही से भी मोड़ा या मरोड़ा जा सके, या फिर उसके जोड़ो को इतना लचीला बनाओ की चाहे कितनी भी लम्बी अवधि का या तीव्रता का भूकंप आये, उसके जोड़ कभी ना खुले|

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वेबसाइट १: http://www.matter.org.uk/schools/content/seismology/pandswaves.html

वेबसाइट २: http://earthquake.usgs.gov/learn/topics/?topicID=६३