यह ब्लॉग हमारे पिछले ब्लॉग के अनुबंध मे है। जिस चीज़ को हमारे दोस्तों नें सटीक ढंग से दर्शाया है, और जिसके साथ हम सहमत है, उसके मुताबिक स्कूलों में सुरक्षा ड्रिल्स जिंदगियां बचाने की दिशा में नि:संदेह ही एक जरुरी कदम है। इस चर्चा को जारी रखने की भी हमारी इच्छा है, क्योंकि हमें लगता है कि हमारे पिछले पोस्ट में कुछ सवालों के उत्तर रह गए थे। ये निम्नलिखित है:
- स्कूलों में ऐसी स्थानांतर ड्रिल्स किए जाने पर भगदड़ की संभावना कितनी है?
- ड्रोप-डक-कवर-होल्ड के अलावा अन्य पद्धतियां कौन सी हैं?
- विकासशील देशों के सत्ताधारी ऐसी ड्रिल्स करने के बारे में सजग क्यों नहीं हैं?
उपरोक्त पीछले दो सवालों के जवाब देने का उत्तरदायित्व इस विषय के विशेष विशेषज्ञों पर छोडकर हम प्रथम सवाल के संदर्भ में एक द्रष्टिकोण अवश्य ही प्रस्तुत कर सकते हैं।
उत्तर है, भगदड़ की संभावना अत्यंत कम है, मगर शायद इसके बारे में स्पष्टता की ज़रूरत है।
एक गलत चेतावनी से आतंक फैल सकता है, फिर भी स्थानांतर ड्रिल्स तथा वास्तविक आपातकालीन (कुदरती) घटनाएं ज्यादातर संकलित घटनाएं हैं। संभावना शून्य ली जा सकती है, परंतु भीड़वाली जगहों पर भगदड़ मच सकती है। भीड़ का संचालन इसका एक उत्तर है और अनुसंधान जारी है तथा जानकारी बढ़ रही है। उदाहरण के तौर पर पीछली सदी में भगदड़ संबंधित घटनाओं के बारे में विकिपीडिया की सूची, और अब इस प्रथम दशक में ही घटी तीस घटनाएं देखें। एक चीज़ ध्यान देने लायक है, कि ऐसी सूचनाओं के बारे में हमारी जानकारी अब बढ़ रही है। एक और बात यह भी ध्यान देने लायक है कि जानवरों की तरह या उनसे विपरीत, मनुष्य भी अगर किसी स्थल पर उपस्थित रहेने के स्पष्ट उद्देश के अभाव की स्थिति में अव्यवस्था तथा भगदड़ के शिकार होते हैं। दंगों जैसी घटनाएं, खेल के दौरान इकठ्ठा होता समूह या धार्मिक समारोह जैसी घटनाएं इस सूची में दिए गए उदाहरणमात्र है।
सौभाग्यवश, जहां शिक्षण एवं उसके स्थानों को गंभीरतापूर्वक ध्यान में लिया जाता है, वहां ऐसी ज्यादातर समस्याएं सतर्कता एवं निवारण के उपाय मात्र से बहुत हद तक टाली जा सकतीं है।
भीड़वाली जगहों में आपातकालीन योजना, छोटे मार्ग, रुकावटों या रुकावटों का अभाव, नियंत्रित भीड़ प्रवाह, संतुलित भीड़ प्रमाण (या गतिविधि) पर अभ्यास इन उपायों के कुछ उदाहरण हैं।
और स्कूलें एवं शैक्षणिक संस्थाएं ऐसी स्थल हैं जहाँ यह सब सिखाया जा सकता है।
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भगदड के अर्थ को वैज्ञानिक तौर पर (ज्यादा सटीकता से भौतिकशास्त्र में) 'आवेग'(Impulse) शब्द में समाया जा सकता है। आवेग को शरीर की गतिविधियों में ‘बदलाव’(Change in Momentum) या फिर अन्य शब्दों में, संबंधित शरीर के ‘द्रव्यमान’(Mass) तथा ‘वेग’(Velocity) में होते बदलाव के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। जब ज्यादा शरीर हो, तब विविध प्रकार के द्रव्यमान और वेग कि उपस्थिति में ये शरीर एक दूसरे से टकराते हैं।
कुदरत के नियमों को तोड कर मनुष्य दो तरिकों से कार्य कर सकता हैः
2.अपना वज़न घटा कर
बाहर जाते समय अपनी वृत्तियों को सहज रखें, इतना ही नहीं अपनी रफ्तार को भी अंकुश में रखें और दूसरों पर से आपका वज़न हटाएं। दूसरे शब्दों में, खतरे की घंटी बजने पर साथ मिलकर सहजता एवं सतर्कतापूर्ण वर्ताव करें।
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संदर्भ:
- 1 दिसम्बर,1958 शिकागो
http://www.youtube.com/watch?v=DyslGbvSdxE&feature=related
- विकिपीडीया परिभाषा
http://en.wikipedia.org/wiki/Stampede
- भगदड़ की परिभाषा पर गुगल सर्च
http://www.google.co.in/search?q=define%3A+stampede&ie=utf-8&oe=utf-8&aq=t&rls=org.mozilla:en-US:official&client=firefox-a
- आवेग की परिभाषा पर गुगल सर्च
http://www.google.co.in/search?q=define%3A+Impulse&ie=utf-8&oe=utf-8&aq=t&rls=org.mozilla:en-US:official&client=firefox-a
- विकिपीडीया के माध्यम से एक अखबारी रिपोर्ट हमें ये जानकारी देता है कि, भीड़ का अनुसरण ना करें और छाती के बल न गिरें
http://www.slate.com/id/2209135/