स्कूलों में बच्चे पढ़कर ज़िम्मेदार नागरिक बनते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि जिस वातावरण में पाठशाला कार्य करती हैं, वह वातावरण विद्यार्थियों में सुरक्षा, सुविधा और सर्जनात्मकता की भावना प्रेरित करें। विद्यार्थियों में सुरक्षा की भावना प्रेरित करने के लिए वर्गखंडों का बूनियादी तौर पर सलामत और विश्वसनीय होना ज़रूरी है। योग्य क्रिडांगण, जहां रीसेस के दौरान विद्यार्थी खेल ऍव विश्राम कर सकें, वह स्कूल का महत्वपूर्ण लक्षण हैं। यह बडे दुःख की बात है कि विकासशील देशों के कई शहरों और कस़्बों की ज़्यादातर स्कूलों में इन सुविधाओं का अभाव हैं। स्कूलों को जगह और गुणवत्तायुक्त शिक्षण की बूनियादी सुविधाओं के बिना शोपिंग कोम्प्लेक्सों में ठूंस दिया जाता है। ऐसी स्कूलों की भारत में बाढ़ सी आ गई है। ऐसी स्कुलें दुर्घटनाओं का इंतजार कर रही है, क्योंकि यहाँ, क्रिडांगण जैसी सुविधाओ का अभाव है।
इसलिए ऐसी स्कुलों पर आग व अन्य आकस्मिक विपदाओ का बडा जोखिम रहता है। विद्यार्थियों को बाहरी भीड और ट्राफिक के साथ घुल जाना पडता है और उनकी अपनी कोई जगह का होना संभव नहीं है। इससे सुरक्षा संबंधित गंभीर चिंताएं पैदा हो सकती है खुली जगह , बालको की गिनती और अन्य संकट प्रबंधन तकनीकों के प्रावधानों से स्थिती में सुधार आ सकता है
सभी स्कूलों में चिकित्सालय हो उसका ख्याल रखा जाना चाहिए। स्कूलों में फायर सेफ्टी ड्रील्स दाखल करनी चाहिए, जिससे विद्यार्थी आग संबंधित आपत्तियों के लिए सज्ज हो सकें। भूकंप, बम विस्फोट की धमकियां, इत्यादि जैसी बाह्य आपत्तियों के लिए अलग कवायत होनी चाहिए। स्कूल सबंधित स्थानांतर योजनाएं सुचारू रूप से लागु की जानी चाहिए तथा उसके रीहर्सल्स होने चाहिए। स्कुलों में प्रवेश के संदर्भ में सुगम्यता भी दूसरा महत्व का लक्षण है। स्कूल को पूर्वाभ्यास होना चाहिए, जिससे स्कुलों में अग्निशामक वाहनों तथा एम्ब्युलन्सों को प्रवेश में होती समस्याएं जान सकते है। समग्रतया संकुलों की सलामती अत्यंत गंभीरता से ली जानी चाहिए, जिससे विद्यार्थीओं की सुरक्षा में कोई कमी ना रहें।
सुरक्षित स्कूल सभी के हित में हैं। स्कुल के वातावरण में सुरक्षा और सुविधा की भावना पैदा करके हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि विद्यार्थी अपना श्रेष्ठ कार्य कर सकें।