यह स्थापित है की देश की लगभग ६०% आबादी पर भूकंप का सीधा खतरा मंडरा रहा है। वर्तमान में विश्व की जनसंख्या में से लगभग २०% आबादी उपमहाद्वीप में रहती है, और इस आबादी में हर दस सालों में १०% से १५% की वृद्धि दर है। इंटरनेट लिंक (विकिपीडिया) देखें। पिछले ६० वर्षों में भारत की जनसंख्या में हुई वृद्धि के लिए नीचे दी गई छवि देखें। यह छवि उपमहाद्वीप में तुलनात्मक जनसंख्या की वृद्धि दर्शाता है।

भारत की जनसंख्या में वृद्धि (स्रोत : गूगल वर्ल्डबैंक सूचक)

भारतीय उपमहाद्वीप की जनसंख्या में वृद्धि (स्रोत : गूगल वर्ल्डबैंक सूचक)
जनसंख्या में यह वृद्धि और उससे सबंधित बांधकाम की संरचनाओं की गुणवत्ता के सवाल की वजह से जो जोखम है, उस पर एक समानांतर तर्क किया जा सकता है, कि क्या वास्तव में दक्षिण एशिया में बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में परिस्थतियाँ क्या इतनी बुरी है?
आंकड़ों में या विवादों में उलझना और उनमें खो जाना सरल है। या फिर क्षेत्रीय नक़्शे को उम्मीद से देखें। इस ब्लॉग पोस्ट की प्रेरणा भारत के भूकंप क्षेत्र के नक़शे से मिली है। संकटपूर्ण इलाके (ज़ोन ५) लाल रंग में देखे जा सकते हैं, जिससे वे जल्दी नजर आ सकते है। छवि से पता चलता है कि ज़ोन ५ ज़ोन २ से ज्यादा खतरनाक है। उदाहरण के तौर पर लाल रंग सब का ध्यान आकर्षित करता है और ऐसे में हर ज़ोनिंग को कार्यान्वयन में भी अच्छी तरह से प्रयोग किया जा सकता है। और उसमें एक तथ्य भी प्रतिबिंबित होता है कि भारत के भूकंप नकशे में अब सिर्फ चार क्षेत्र है| यह सरलीकरण २००१ के गुजरात के दुर्भाग्यपूर्ण भूकंप के पश्चात भारत की विशाल बहुलता के संदर्भ को ध्यान में रख कर किया गया था। भारतीय मानक ब्यूरो और उसके साथ डॉ. आर्या और अन्य वरिष्ठ निष्णात तथा अन्य वैज्ञानिक देश में भूकंप और उससे संबंधित प्राकृतिक आपदाओं से जुझने जैसे जबरदस्त कठिन मुद्दे पर दृढ एवं बौद्धिक कार्य कर रहे हैं।

भारत देश में भूकंप ज़ोन
गुगल इमेज में से। मूल स्रोत:: भारतीय मानक ब्यूरो
ऐसी भी दलील की जा सकती है कि आने वाले सालों में ऐसे कार्यान्वयन को भ्रूपुष्ट, राजकीय संकल्प, तकनिकी क्षमताएं तथा वृद्धि-विकासलक्षी मुद्दों जैसे बडे कारण चुनौती देते रहेंगे। इसके अलावा आप लाल हिस्सों का चयन कर सकतें है जहां अत्यंत ज़रूरी कार्य की और आवश्यकता है| उत्तरपूर्वीय राज्यों जैसे - हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और बिहार को स्पष्टरूप से देख सकते है। उपमहाद्वीप में कश्मीर (२००५) और कच्छ (२००१) में हुई विनाशकारी घटनाएं इसके उदाहरण है। शायद इन राज्यों के लिए उनकी अग्रता के लिए एक स्वतंत्र किन्तु एक संबंधित रूपरेखा का आधार हो सकता है।
इन तथाकथित मुश्किल वास्तविकता के सामने हमारे बीच एक मजबूत संकलन इस ‘टाइम बोम्ब’ को टालने के लिए अत्याधिक जरूरी है। साल २००४, एक सुंदर पर्वतीय शहर शिमला (क्षेत्र ४) में एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ मीटिंग में उन्होंने कहा - ‘‘हम एक टाइम बोम्ब पर बैठे हैं।" शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और लाल रंगवाले विस्तार में है।
उपयोगी साधन
किसी भी देश कि पछिले ५० साल कि जनसँख्या को देखने के लिए गूगल और वर्ल्ड बैंक में खोजे|