भारत देश एक विशाल देश है और यहाँ बढ़ती आबादी एक चिंतित विषय है। इसकी वजह से हर जगह फ्लेट, सैरगाह, कोठि ईत्यादी का प्रमाण बढ़ता जा रहा है। यहाँ ज़मीन घटती जा रही है और हर जगह पर यातायात, पड़ाव, प्रदूषण की समस्याएं बढ़ती जा रही है।
अहमदाबाद एक बड़ा शहर बनने की कगार पर है, जहाँ कुल २३२३ पाठशालाए है (गुजरात रेवेनुए डिपार्टमेंट)। यह बयान किया गया है कि ५२ % पाठशालाओं में मैदान का आभाव है (इंडिया टूगेदर)। ब्रिटिश अध्ययन के मुताबिक लगभग ६० सें ८० % चोट बच्चों को पाठशाला के मैदान में लगती है (फाइनड अर्टिक्लेस)। मैदान बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। एक ऑस्ट्रलियन अध्ययन के मुताबिक यदि बच्चों को सह-पाठयक्रम गतिविधियों में शामिल नहीं किये जाने पर मानसिक ताण का शिकार बन जाते है और इस का प्रमाण ८.४ % है। (मेडिसिन नेट)
मैदान बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से बढ़ने का एक अच्छा अवसर प्रदान करते है जिससे उनकी विभिन्न योग्यताएं बहार आती है। एसे जाग्रत बच्चें अपने विद्यालय का गौरव बढ़ाते हैं।
मैदान आपात स्थितियों में भी बहुत उपयोगी होते है। यदि पाठशालाओं में मैदान नहीं है, तो विद्यालय के प्राधिकारी को किसी पार्टी-प्लोट, बगीचे या फिर किसी खाली मैदान का प्रवाधान करना चाहिए, जिससे कि बच्चों कि सुरक्षा का आश्वासन रहे।
स्रोत:
· http://www.indiatogether.org/2004/aug/edu-firesafe.htm
· http://findarticles.com/p/articles/mi_m1145/is_n4_v33/ai_20552693/
· http://www.medicinenet.com/script/main/art.asp?articlekey=118570