शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

भारत में पाठशालाओं के मालिक की जिम्मेदारी और पाठशालाओं में सुरक्षा का परीक्षण




आज भारत में देखा जा रहा हैं कि शैक्षिक निवास में पाठशाला सुरक्षा के प्रति दृढ और व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता है | आज एक ही समय तर्क और शायद सहमत भी हो सकते है, की दुनिया के सर्वश्रेष्ट देश एक ऐसी नीति बनाने का संघर्ष कर रहे है जो की इस मुद्दे का प्रभावी रूप से हल निकाल सके | और शायद जिसका कोई अंत नही है | हमारे पास जो सुझाव आते है, उसमे कुछ आसान जैसे की कानून बनाना और विधायी तंत्र से लेकर शायद सबसे जटिल श्रेणी वाले जैसे कि शैक्षणिक स्थानो के मालिकों की जवाबदारी के लिए अपने आप अवसर बनाना | इस प्रकार सामूहिक रूप में 'शून्य जीवन हानि' को प्राप्त करने की दिशा मिले | शैक्षणिक स्थानों में स्कूल रिपोर्ट कार्ड के अनुसार १२ लाख पाठशाला का आंकडा भारत में ही दिखता है | *(आंकड़ा स्त्रोत : डी.आई.एस. http://www.schoolreportcards.in/)

निम्नलिखित पांच घटक व्यक्तिगत विद्यालय में सुरक्षा परीक्षण के लिए महत्वपूर्ण है | प्राथमिकता के क्रम में हमने इसे रखा है :

भवन संरचना की मजबूती |

विद्यालय आपात स्थिति में जिम्मेदारी ले |

विद्यालयों में एक आपातकालीन प्रबंधन योजना मौजूद हो |

बाहरी संसाधन अभिकरण जैसे की अग्निशमन, जीवन और स्वास्थ्य बचाव और बचावदल के रूप में मदद उपलब्ध है |

जाग्रुत्ता और प्रशिक्षण कार्यक्रम और विद्यालय निवास सुधार में निरंतर गतिविधि |

एक विस्तृत परीक्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन विद्यालयों के लिए एक साधारण परीक्षण सूचि (लिस्ट) उपयोगी है | हालाँकि, कई जानेमाने अभिकरण उच्च/ शीर्ष/ निति के स्तर पर महत्वपूर्ण काम कर रहे है; जमीनीस्तर पर यह कार्य के कार्यान्वयन पर महत्वपूर्ण लागत है | संचालन और प्रबंधन में जरुरी योजना डालने की जरुरत है | जब 'जोखिम' और 'लाभ' की तुलना हो तब यह लागत उसके उपयोगिता की तुलना में साधारण हो जाती है |

इस बात पर तर्क किया जाए तो वास्तव में विद्यालयों के मालिकों की जिम्मेदारी का रुख है, जो आज की तारीखों में मदद कर रहा है | और एक हद तक इस प्रक्रिया में जिम्मेदार नागरिकों के आंतरायिक काम से मदद मिली है | अगर हाल के आंकड़े एकत्र करे जाए तो यह बाहर आएगा की शायद विश्व में भारत के विद्यालय सबसे सुरक्षित है | तेजी से हो रहे विकास और परिवर्तन को ध्यान में रखा जाए तो संतुष्टि के साथ साथ इस विषय पर बहुत कार्य करना बाकी है |

*भारतमें औपचारिक स्कूली शिक्षा प्रणाली: तीन साल के लिए बाल विहार,बारह साल के लिए विद्यालय फिर महाविद्यालय और उसके बाद उच्च शिक्षा