१. मौजूदा पाठशालाओ की इमारतों को मजबूत बनाना
२. पाठशाला इमारतों में सलामती और अभिगम्यता के विचारो को प्रस्तुत करना और उसको एकीकृत करना
३. स्थानीय सरकार सहित विविध उपयोगकर्ता समूहों के लिए प्रचार कार्यक्रमों का आयोजन करना
प्रारंभ में हमने ल्यूम्सी जुनियर पाठशाला में हमारा कार्य शुरू किया था जो गंगटोक के शहरी विस्तार की हद मे स्थित है उसके दो कक्षागृह को नुकशान हुआ था| विचार केवल पाठशाला की ईमारत की मरम्मत करना और मजबूती बढ़ाना नहीं था, पर मिस्त्रियो के रेट्रोफिटींग तालीम की तक का उपयोग करना था| मैंने और रहेमान ने ( सिड्स टीम) इंटरव्यू और विचार विमर्श करने के बाद, साईट से तसवीरे और मापन सहित महत्वपूर्ण जानकारी इकठ्ठा की थी|
मेरी प्रथम यात्रा के दौरान तेजी से किये गए द्रश्य सर्वेक्षण और सिड्स की टीम के सदस्यो की संबंधित यात्राओ ने, इस पाठशाला को तय करने में सहायता की थी| ल्यूम्सी पाठशाला का प्रवेश योग्यता विभाग,पाठशाला और अन्य क्षेत्र को मुलाकात और बातचीत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है| फ़िलहाल, हम लोग छोटी सी टीम बनाकर हमारी जूनियर पाठशाला के कार्य का मार्च २०१२ के अंत तक का संचालन किया है| सिड्स के वेतन दर पर राखी और डी.ए. में से दो मजदूर थोड़े समय के बाद हमारे साथ शामिल होने वाले है|
ल्यूम्सी पाठशाला की तसवीरे यहाँ उपलब्ध है|
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Lumsey Junior High School (Link to Picasa album) |
इसके अलावा, में अन्य संस्थाओ द्वारा कि गई हुई भूकंप के बाद की गतिविधियों पर ध्यान देने का प्रयास कर रहा था||समाचार रिपोर्ट्स और साथियों की चर्चा से यह जानने को मिला है कि प्रशासन और नागरिक समाज प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्री और अन्य अनुदान के बड़े धन का इंतजार कर रहे है| मुझे हर एक स्तर पर भूकंप प्रतिक्रिया के बारे में दिलचस्प वाद विवाद देखने को मिले जो राज्य को भविष्य में अपनाने चाहिए| बैठक और सम्मेलनों में उपविधियो और बुनियादी सुविधाओ सुविधाओ के प्रवधानीकरण में सुधार के उद्देश्य की चर्चा भी सुनाई देती थी|
सिक्किम ६००,००० जनसंख्या के साथ सुसंगठित समाज है| राज्य में सभी लोग भूकंप के बाद के परिणाम की स्थिति से परिचित है,और उनमें एक दुसरे के लिए सहानुभूति है|शहर जैसे कि, चुंगथांग में घर मालिको को भारी नुकशान सहन करना पड़ा था| सरकार द्वारा पुनर्वासन के लिए क्षतिपूर्ति के एक सुखद अनुग्रह राशि के रूप में,इस किस्से में ५०.००० रुपये तर्कसंगत काफी नहीं है|
यह एक दुर्भाग्य की बात है कि भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक सिक्किम उसके लोगो को ईमारत सुरक्षा के प्रति जागरूकता और निर्माण तकनीक के रूप में कोई भी तकनिकी मदद के लिए तैयार नहीं है| और/अथवा परामर्श,जो उनके जीवन और जीवनशैली में आये हुए भारी विघटन का सामना करने में मदद कर सके वो जरुरी है - वक्त की यही आवश्यकता है|
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द्वारा लिखित : चंद्रा भाकुनी
जाँच और समीक्षा : प्रतुल आहूजा,श्रुति नायर,स्मृति सारस्वत