सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

सिक्किम,भारत भूकंप के लिए इंजीनियरिंग पाठ (तीव्रता ६.९)

हाल में १८सितम्बर के भूकंप के बाद मेरी सिक्किम की यात्रा ख़त्म हुई,यात्रा के कुछ लक्ष्य थे जो निम्नलिखित है:

१.क्षेत्र(प्रदेश) में बिल्डिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्षति को समजना|

२.इस घटना का असर समझने के लिए पाठशाला की और दूसरी संस्थाओ की बिल्डिंग की मुलाकात करना|

३.क्षेत्र में दुर्घटना प्रतिक्रिया के तंत्र का निरिक्षण करना|

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मेरे फिल्ड के अनुभव और यात्रा के दौरान वहां के लोगो से हुई बातचीत के आधार पर थोड़े निष्कर्ष और सिफारिश थी जो निम्नलिखित है|

१.बडी इंजीनियरिंग कंपनिया, गंगटोक में विश्वविद्यालयों, और व्यक्तिगत स्तर पर सिक्किम का काफी हद तक अध्ययन किया गया है| उनकी विशेषज्ञता का उपयोग सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए किया जाना चाहिए|

२.बुरी तरह से प्रभावित चुंगथांग के शहरीकरण व्यवस्थापन (उपयोग और सुविधाओ) के लिए ये भूकंप एक अवसर दिखाई देता है|

३.पारंपरिक भवन/घर (जिसको एकरा बोलते है) के निर्माण ने भूकंप के सामने अच्छा प्रदर्शन किया है,और उनमे काम क्षति हुई है|इस निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहिए,और इस क्षेत्र में आराम से नयेपन के साथ सुरक्षित घरो घरो का निर्माण किया जा सकता है|

४.चुंगथांग में नुकसान ,घर मालिको की मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का कारण है विशेष रूप से जिसने भारी निवेश किया है;और तकनिकी एवं मानसिक परामर्श एक तत्काल जरुरत है|

५.पाठशालाओ में नुकसान की वजह से बच्चो में एक भय का माहोल है | इस भय की ओर देखने से बेहतर है की भूकंप को समझने के लिए अवसर पैदा किये जाये |

६.सिक्किम एक अवसर है, जो अब सामूहिक शासन प्रणाली के एक उदाहरण के रूप में दिखाया जा सकता है, ना की सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से लेकिन विकास की दृष्टि से भी उतर भारत-पूर्व के उपमहाद्वीप को जरुरत है |


[आभार के साथ]

श्री चन्द्र भाकुनी, स्ट्रकचरल इंजीनयर, क्वेकस्कूल कन्सल्टिंग

मनू और सीड्स की दिल्ली टीम, श्रीमती रिंकू वढेरा स्थानीय डी.ओ.यु यूनिट से, श्री प्रशांत प्रधान और उनकी आर्कीटेक्ट की टीम सिक्किम से, टी शेरिंग (स्कूल शिक्षक), सोहेल दा (संकाय, सिक्किम युनिवर्सिटी), कर्नल वढेरा, कर्नल विशाल और क्वेकस्कूल टीम और यात्रा के दौरान मिले सभी मित्र का तहे दिल से आभार|

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